जरुरत है सुनने वाले की

ज़रुरत है एक सुनने वाले वालंटियर की

जो कहे कम, सुने ज्यादा
जो टोके कम, पूछे ज़्यादा
भूले कम, याद रखे ज़्यादा
बोले कम, लिखे ज़्यादा
जो वहाँ सुने जहां आवाज़ नहीं
जो देखने की चीज़ को भी सुने
जो कान से महसूस करे
जो बस सुने
बगैर यह देखे कि कौन बोल रहा है
बगैर यह देखे कि कौन सुन रहा है
और जो सुने को गुने भी
अगर आप इतने चैाकन्ने हैं तो हमारे साथ सुनने के रियाज़ में शामिल हों!

खुशख़बरी है कि हम इसके लिए कुछ ख़र्चा-पानी देने की स्थिति में भी हैं।
अपने आवेदन में नाम-गाम-पता-शिक्षा-दीक्षा बताने के अलावा अपनी रचनात्मक दिलचस्पियों का भी ब्यौरा दें और आवेदन यहां भेजे।